“यूपी सरकार ने स्कूलों में बच्चों के पोषण के लिए नया मील प्लान लागू किया है, जो 2025 से शुरू होगा। यह योजना पौष्टिक भोजन, कम चीनी और सोडियम, और स्थानीय खाद्य पदार्थों पर जोर देती है। इसका लक्ष्य बच्चों के स्वास्थ्य और शैक्षिक प्रदर्शन को बेहतर करना है।”
यूपी के स्कूलों में नया पोषण प्लान: बच्चों का भविष्य संवारने की पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूलों में बच्चों के लिए एक नया स्कूल मील प्लान पेश किया है, जो 2025 से लागू होगा। यह योजना राष्ट्रीय पोषण दिशानिर्देशों और 2020-2025 डायट्री गाइडलाइंस फॉर अमेरिकन्स से प्रेरित है, जिसे भारतीय संदर्भ में ढाला गया है। इसका उद्देश्य बच्चों को संतुलित और पौष्टिक भोजन प्रदान करना है, ताकि उनकी शारीरिक और मानसिक विकास की जरूरतें पूरी हों।
इस प्लान के तहत, स्कूलों में परोसे जाने वाले भोजन में चीनी और सोडियम की मात्रा को धीरे-धीरे कम किया जाएगा। 2025 से शुरूआती चरण में, नाश्ते में चीनी की मात्रा को नियंत्रित करने पर ध्यान दिया जाएगा, और 2027 तक इसे पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा। उदाहरण के लिए, फ्लेवर्ड दूध में प्रति 8 औंस 10 ग्राम से अधिक चीनी नहीं होगी। इसके अलावा, सोडियम की मात्रा भी ग्रेड स्तर के अनुसार सीमित होगी, जैसे कि कक्षा 1-5 के लिए नाश्ते में 485 मिलीग्राम और दोपहर के भोजन में 935 मिलीग्राम तक।
यह योजना फल, सब्जियां, और साबुत अनाज को बढ़ावा देती है। स्कूलों को स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों का उपयोग करने की सलाह दी गई है, जिससे न केवल पोषण बढ़ेगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी समर्थन मिलेगा। उदाहरण के लिए, स्कूल मेन्यू में बाजरा, दालें, और ताजा फल जैसे आम और केला शामिल किए जा सकते हैं। इसके साथ ही, सांस्कृतिक और धार्मिक खाद्य प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाएगा, जैसे कि शाकाहारी और जैन भोजन के विकल्प।
योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है बच्चों की पसंद को ध्यान में रखना। स्कूलों को मेन्यू में लचीलापन दिया गया है ताकि वे बच्चों के पसंदीदा व्यंजनों को शामिल कर सकें, जैसे कि वेज बिरयानी या पनीर रोल, बशर्ते वे पोषण मानकों को पूरा करें। इसके लिए स्कूल न्यूट्रिशन प्रोफेशनल्स को प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान किए जा रहे हैं।
यूपी सरकार ने इस योजना के लिए स्कूल फूड सिस्टम ट्रांसफॉर्मेशन चैलेंज ग्रांट्स भी शुरू किए हैं, जो स्कूलों, खाद्य उत्पादकों, और सप्लायर्स के बीच सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित हैं। यह पहल न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर करेगी बल्कि खाद्य उद्योग को भी कम चीनी और सोडियम वाले उत्पाद विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
हालांकि, इस योजना को लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं। स्कूलों को नए मेन्यू की योजना बनाने, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को समायोजित करने, और बच्चों की स्वाद की आदतों को बदलने के लिए समय चाहिए। इसके लिए सरकार ने 2025-2027 तक चरणबद्ध कार्यान्वयन की रणनीति अपनाई है। साथ ही, माता-पिता और शिक्षकों की राय को शामिल करने के लिए फीडबैक सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
यह योजना यूपी के लाखों बच्चों के लिए एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूल में मिलने वाला पौष्टिक भोजन बच्चों के शैक्षिक प्रदर्शन, एकाग्रता, और दीर्घकालिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है।
Disclaimer: यह लेख समाचार, रिपोर्ट्स, और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करें।