“उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों के लिए नई पोषण योजना शुरू की है, जिसमें 3-6 साल के बच्चों को फल, दूध और पौष्टिक सप्लीमेंट्स मुफ्त मिलेंगे। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना का लक्ष्य कुपोषण को खत्म करना और बच्चों का स्वस्थ विकास सुनिश्चित करना है। ये योजना स्कूलों और आंगनवाड़ियों में लागू होगी।”
यूपी में बच्चों के लिए नया पोषण क्रांति: मुख्यमंत्री सुपोषण योजना
उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों के पोषण को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शुरू की गई मुख्यमंत्री सुपोषण योजना 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों को लक्षित करती है। इस योजना के तहत, बच्चों को मुफ्त फल, पौष्टिक दूध, और विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए पोषण सप्लीमेंट्स प्रदान किए जाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य कुपोषण को कम करना और बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देना है।
योजना का दायरा और कार्यान्वयन
यह योजना पूरे उत्तर प्रदेश में लागू होगी, विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में। सरकार ने इसके लिए विशेष बजट आवंटित किया है, और स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे सप्लीमेंट्स की गुणवत्ता और वितरण की निगरानी करें। प्रत्येक बच्चे को उनकी उम्र और पोषण संबंधी जरूरतों के आधार पर सप्लीमेंट्स दिए जाएंगे, जिसमें विटामिन डी, आयरन, कैल्शियम, और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व शामिल होंगे।
कुपोषण के खिलाफ लड़ाई
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 39.7% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, और 32.1% बच्चों का वजन उनकी उम्र के हिसाब से कम है। इस योजना का लक्ष्य इन आंकड़ों को कम करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रारंभिक वर्षों में सही पोषण बच्चों के संज्ञानात्मक विकास, रोग प्रतिरोधक क्षमता, और शारीरिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
सप्लीमेंट्स की खासियत
मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत दिए जाने वाले सप्लीमेंट्स को बच्चों की पसंद को ध्यान में रखकर बनाया गया है। ये च्यूएबल टैबलेट्स और सिरप के रूप में उपलब्ध होंगे, जो बच्चों के लिए स्वादिष्ट और आसानी से ग्रहण करने योग्य होंगे। इनमें विटामिन ए, सी, डी, और बी-कॉम्प्लेक्स के साथ-साथ जिंक और ओमेगा-3 जैसे तत्व शामिल होंगे। ये सप्लीमेंट्स विशेष रूप से उन बच्चों के लिए फायदेमंद होंगे जो पिकी ईटर्स हैं या जिनके आहार में पोषक तत्वों की कमी है।
विशेषज्ञों की राय
पोषण विशेषज्ञों ने इस योजना की सराहना की है, लेकिन साथ ही चेतावनी दी है कि सप्लीमेंट्स का उपयोग संतुलित आहार का विकल्प नहीं होना चाहिए। डॉ. अनिता शर्मा, एक बाल रोग विशेषज्ञ, कहती हैं, “ये सप्लीमेंट्स उन बच्चों के लिए बहुत उपयोगी हैं जो पर्याप्त फल और सब्जियां नहीं खाते। लेकिन माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को प्राकृतिक खाद्य पदार्थों से भी पोषण मिले।”
माता-पिता और स्कूलों की भूमिका
योजना के तहत माता-पिता और शिक्षकों को जागरूकता अभियान के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें बच्चों के पोषण की जरूरतों और सप्लीमेंट्स के सही उपयोग के बारे में जानकारी दी जाएगी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी सप्लीमेंट्स के वितरण और बच्चों की निगरानी के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं
हालांकि यह योजना आशाजनक है, विशेषज्ञों का कहना है कि इसके सफल कार्यान्वयन के लिए कठोर निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण जरूरी है। सप्लीमेंट्स की आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और ग्रामीण क्षेत्रों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित करना बड़ी चुनौतियां होंगी। सरकार ने भविष्य में इस योजना को 6-12 वर्ष के बच्चों तक विस्तार देने की भी योजना बनाई है।
सामाजिक प्रभाव
यह योजना न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगी, बल्कि स्कूलों में उपस्थिति और शैक्षणिक प्रदर्शन को भी बढ़ावा दे सकती है। स्वस्थ बच्चे बेहतर सीखते हैं और भविष्य में अधिक उत्पादक नागरिक बनते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
Disclaimer: यह लेख सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। सप्लीमेंट्स का उपयोग करने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ या पोषण विशेषज्ञ से परामर्श लें। जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार के आधिकारिक बयानों और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध डेटा पर आधारित है।