“उत्तर प्रदेश सरकार 2025 में 10 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन प्रदान कर रही है, जिससे खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। यह योजना गरीब परिवारों को 5 किलो अनाज और 1 किलो दाल मासिक देगी। पारदर्शिता के लिए डिजिटल राशन कार्ड और आधार लिंकिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। जानें कैसे यह पहल यूपी में भुखमरी को कम कर रही है।”
उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा: 10 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना को लागू किया है, जिसके तहत राज्य के लगभग 10 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। यह पहल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत संचालित हो रही है, जिसका उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को भोजन की गारंटी देना है।
इस योजना के तहत, प्रत्येक लाभार्थी को हर महीने 5 किलोग्राम अनाज (गेहूं या चावल) और 1 किलोग्राम दाल मुफ्त प्रदान की जा रही है। अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत शामिल परिवारों को 35 किलोग्राम अनाज प्रति माह मिलता है। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को लक्षित करती है, जो कोविड-19 महामारी के बाद बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में खाद्य वितरण प्रणाली को और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने डिजिटल राशन कार्ड और आधार लिंकिंग को अनिवार्य किया है। 2024 तक, राज्य में 99% राशन कार्ड आधार से जोड़े जा चुके हैं, जिससे फर्जी कार्ड और भ्रष्टाचार की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया गया है। इसके अलावा, ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना के तहत लाभार्थी अब पूरे देश में कहीं भी अपने राशन कार्ड का उपयोग कर सकते हैं, जो विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों के लिए लाभकारी है।
हाल ही में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘अन्नपूर्णा भवन’ पहल की शुरुआत की, जिसके तहत राशन वितरण केंद्रों को आधुनिक और पारदर्शी बनाया जा रहा है। ये केंद्र डिजिटल तकनीक से लैस हैं, जहां लाभार्थियों को बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद राशन दिया जाता है। इससे न केवल वितरण प्रक्रिया सुगम हुई है, बल्कि राशन की चोरी और कालाबाजारी पर भी अंकुश लगा है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह योजना केवल कैलोरी आधारित खाद्य सुरक्षा पर केंद्रित है, न कि पोषण की विविधता पर। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार, यूपी में 35.5% बच्चे कुपोषण से प्रभावित हैं। इसलिए, सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि वह राशन में दाल, तेल और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करे।
इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन और अनियमित वर्षा ने यूपी में कृषि उत्पादन को प्रभावित किया है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर दीर्घकालिक चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। सरकार ने इस दिशा में कृषि अवसंरचना निधि (Agriculture Infrastructure Fund) के तहत 2024 तक 43,391 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस फंड का और प्रभावी उपयोग आवश्यक है।
यूपी सरकार का दावा है कि यह योजना न केवल भुखमरी को कम कर रही है, बल्कि यह गरीबी उन्मूलन में भी योगदान दे रही है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024 के बजट में कहा था कि पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं, जिसमें मुफ्त राशन योजना का बड़ा योगदान है।
हालांकि, कुछ आलोचकों का मानना है कि इतनी बड़ी आबादी को मुफ्त राशन की आवश्यकता होना देश की आर्थिक स्थिति पर सवाल उठाता है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने हाल ही में कहा कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देना सरकार की उपलब्धि नहीं, बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में असफलता का प्रतीक है।
फिर भी, यह योजना यूपी के गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा है। 2025 में इसके विस्तार से लाखों परिवारों को राहत मिलेगी, लेकिन दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा के लिए सरकार को पोषण, कृषि सुधार और बुनियादी ढांचे पर और ध्यान देना होगा।
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