यूपी सरकार ने शहरी गरीबों के लिए मुफ्त भोजन योजना शुरू की है, जिसके तहत 2025 से लाखों परिवारों को मुफ्त राशन मिलेगा। यह योजना NFSA के तहत पात्र परिवारों को 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति और 35 किलो प्रति परिवार प्रदान करेगी। इसका लक्ष्य शहरी खाद्य असुरक्षा को कम करना और पोषण सुनिश्चित करना है।
उत्तर प्रदेश की मुफ्त भोजन योजना: शहरी गरीबों के लिए राहत
उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी गरीबों के लिए एक महत्वाकांक्षी मुफ्त भोजन योजना की घोषणा की है, जो 2025 से लागू होगी। यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत संचालित होगी और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों को मुफ्त खाद्य अनाज प्रदान करेगी। योजना का मुख्य उद्देश्य शहरी खाद्य असुरक्षा को कम करना, पोषण स्तर में सुधार करना और गरीब परिवारों को आर्थिक राहत देना है।
योजना के प्रमुख बिंदु
इस योजना के तहत, प्राथमिकता वाले परिवारों (Priority Households) को प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज (चावल, गेहूं या मोटा अनाज) मुफ्त प्रदान किया जाएगा। वहीं, अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत पात्र परिवारों को प्रति परिवार 35 किलोग्राम अनाज मिलेगा। यह योजना विशेष रूप से उन शहरी गरीबों पर केंद्रित है जो अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, जैसे रिक्शा चालक, दिहाड़ी मजदूर, और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग।
खाद्य असुरक्षा की चुनौती
2022 के एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली जैसे शहरी क्षेत्रों में 51% झुग्गी-झोपड़ी वाले परिवार खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में भी स्थिति चिंताजनक है, जहां गरीब परिवारों को पौष्टिक भोजन की कमी का सामना करना पड़ता है। NFHS-5 (2019-21) के आंकड़ों के अनुसार, 57% महिलाएं और 14% शहरी आबादी अपर्याप्त पोषण से जूझ रही है। इस योजना का लक्ष्य इन आंकड़ों को कम करना है।
योजना का कार्यान्वयन
यूपी सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ कार्यक्रम के तहत लाभार्थी किसी भी राज्य में सब्सिडी वाला राशन प्राप्त कर सकेंगे। योजना के तहत अनाज वितरण के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को और मजबूत किया जाएगा।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
यह योजना न केवल खाद्य सुरक्षा प्रदान करेगी, बल्कि शहरी गरीबों के आर्थिक बोझ को भी कम करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि मुफ्त अनाज से परिवारों को अपनी आय का अन्य आवश्यकताओं, जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य, पर उपयोग करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, यह योजना शहरी क्षेत्रों में पलायन को कम करने में भी मदद कर सकती है, क्योंकि कई मजदूर बेहतर भोजन और आजीविका की तलाश में शहरों की ओर पलायन करते हैं।
चुनौतियां और समाधान
योजना के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे सही लाभार्थियों की पहचान, वितरण प्रणाली में पारदर्शिता, और अनाज की गुणवत्ता सुनिश्चित करना। सरकार ने इन समस्याओं से निपटने के लिए डिजिटल निगरानी और आधार-लिंक्ड राशन कार्ड सिस्टम को बढ़ावा देने का फैसला किया है। साथ ही, स्थानीय निकायों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी करके योजना की पहुंच को और प्रभावी बनाया जाएगा।
केंद्र सरकार की भूमिका
यह योजना केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) से प्रेरित है, जिसे 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू किया गया था। केंद्र ने हाल ही में PMGKAY को 2028 तक बढ़ाने का फैसला किया है, जिसके तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। यूपी सरकार इस मॉडल को शहरी क्षेत्रों में लागू कर रही है, ताकि स्थानीय जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सके।
Disclaimer: यह लेख समाचार, सरकारी घोषणाओं, और उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है। जानकारी की सटीकता के लिए संबंधित सरकारी वेबसाइट्स और आधिकारिक स्रोतों का उपयोग किया गया है।