“उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीब परिवारों के लिए ‘Food for All’ योजना के तहत मुफ्त भोजन और सब्सिडी की घोषणा की है। यह योजना 81.35 करोड़ लाभार्थियों को कवर करती है, जिसमें मुफ्त अनाज और सब्सिडी वाले दामों पर चीनी उपलब्ध होगी। लेकिन क्या यह योजना वाकई भूखमरी खत्म कर पाएगी? जानें इसके फायदे और चुनौतियां।”
उत्तर प्रदेश की ‘Food for All’ योजना: गरीबों के लिए मुफ्त भोजन और सब्सिडी
उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीब परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ‘Food for All’ योजना को लागू किया है, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत संचालित हो रही है। इस योजना के तहत, 81.35 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त अनाज और सब्सिडी पर चीनी उपलब्ध कराई जा रही है। यह योजना विशेष रूप से अंत्योदय अन्न योजना (AAY) और प्राथमिकता वाले परिवारों को लक्षित करती है, जो गरीबी रेखा से नीचे और कुछ मामलों में इसके ऊपर हैं।
योजना का दायरा और लाभ
NFSA के तहत, उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की 75% और शहरी क्षेत्रों की 50% आबादी को कवर किया जाता है। अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत सबसे गरीब परिवारों को प्रति माह 35 किलोग्राम अनाज (चावल और गेहूं) मुफ्त में प्रदान किया जाता है। प्राथमिकता वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज सब्सिडी वाले दामों पर (चावल 3 रुपये प्रति किलो और गेहूं 2 रुपये प्रति किलो) उपलब्ध होता है। इसके अतिरिक्त, AAY परिवारों को प्रति माह 1 किलोग्राम चीनी सब्सिडी पर दी जाती है। 2024-25 के लिए केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 2.05 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3% कम है, लेकिन फिर भी यह खाद्य सब्सिडी का सबसे बड़ा हिस्सा है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) का योगदान
2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू की गई PMGKAY ने गरीब परिवारों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस योजना के तहत, अप्रैल-नवंबर 2020 में प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम चावल या गेहूं और 1 किलोग्राम दाल मुफ्त प्रदान की गई। उत्तर प्रदेश में 36-38 मिलियन टन चावल की आपूर्ति PMGKAY के तहत की जाती है, जो खाद्य निगम (FCI) और राज्य एजेंसियों द्वारा वितरित होती है। 2023 में, केंद्र सरकार ने इस योजना को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया, जिससे यूपी के गरीब परिवारों को लगातार लाभ मिलेगा।
चुनौतियां और आलोचनाएं
हालांकि यह योजना लाखों परिवारों के लिए जीवन रेखा साबित हुई है, लेकिन इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पहली चुनौती है भंडारण और वितरण की लागत में वृद्धि। FCI के पास 58.62 मिलियन टन अनाज का भंडार है, जिसमें 28.22 मिलियन टन चावल और 30.4 मिलियन टन गेहूं शामिल हैं। इन भंडारों के रखरखाव, परिवहन और अन्य खर्चों के कारण सब्सिडी का बोझ बढ़ रहा है। 2024-25 में खाद्य सब्सिडी का खर्च 2.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है, जो बजट अनुमान से 20,000 करोड़ रुपये अधिक है।
दूसरी चुनौती है वितरण प्रणाली में अक्षमता। कई लाभार्थियों को समय पर अनाज नहीं मिलता, और कुछ मामलों में Aadhaar प्रमाणीकरण त्रुटियों के कारण राशन से वंचित रह जाते हैं। 2018 में, ऐसी त्रुटियों के कारण 14 में से 7 मौतें राशन की कमी से जुड़ी थीं। इसके अलावा, PDS में केवल चावल, गेहूं और चीनी पर ध्यान केंद्रित करने के कारण पोषण की कमी एक बड़ी समस्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, 50% महिलाएं और 48% पुरुष रोजाना दाल या दूध जैसे पोषक तत्वों का सेवन नहीं करते।
प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
यूपी में PDS ने गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2014 में छह राज्यों में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 90% से अधिक BPL और AAY परिवार अपने राशन कार्ड का उपयोग करते हैं। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि योजना का प्रभाव तब तक सीमित रहेगा जब तक इसमें पोषण संबंधी विविधता और वितरण की दक्षता में सुधार नहीं किया जाता। कुछ सुझावों में CIP (केंद्रीय निर्गम मूल्य) को संशोधित करना और गैर-AAY परिवारों के लिए सब्सिडी को सीमित करना शामिल है।
निष्कर्ष में, यूपी की ‘Food for All’ योजना गरीब परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसे और प्रभावी बनाने के लिए नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है।
Disclaimer: यह लेख उत्तर प्रदेश में खाद्य सब्सिडी और ‘Food for All’ योजना पर आधारित है। जानकारी विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों जैसे PIB, PRS India, Financial Express, और IndiaSpend से ली गई है। यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसमें दिए गए तथ्य लेखन के समय उपलब्ध नवीनतम डेटा पर आधारित हैं।