“प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना 2025 में भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में क्रांति ला रही है। 1 करोड़ घरों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली, 78,000 रुपये तक की सब्सिडी, और पर्यावरण संरक्षण का वादा। जानें कैसे यह योजना आपके बिजली बिल को शून्य कर सकती है और कमाई का मौका देती है।”
हर घर सोलर, मुफ्त बिजली का सपना अब हकीकत
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, जिसे 13 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था, भारत के ऊर्जा परिदृश्य को बदल रही है। इस योजना का लक्ष्य 2027 तक 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर पैनल लगाकर हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली प्रदान करना है। 75,021 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू हुई यह योजना न केवल बिजली बिल कम करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है।
10 लाख से अधिक घरों में सोलर पैनल
27 जनवरी 2025 तक, 8.46 लाख घरों को इस योजना का लाभ मिल चुका है, और 10 मार्च 2025 तक 10.09 लाख घरों में सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के अनुसार, 47.3 लाख से अधिक लोगों ने इस योजना के लिए आवेदन किया है। यह योजना विशेष रूप से मध्यम और गरीब वर्ग के परिवारों को लक्षित करती है, जिन्हें बिजली बिल के बोझ से राहत मिल रही है।
सब्सिडी और वित्तीय सहायता
योजना के तहत सोलर पैनल लगाने की लागत का 60% तक सब्सिडी दी जाती है। 1 किलोवाट सोलर पैनल के लिए 30,000 रुपये, 2 किलोवाट के लिए 60,000 रुपये, और 3 किलोवाट या अधिक के लिए 78,000 रुपये तक की सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। इसके अलावा, दिल्ली जैसे राज्यों में अतिरिक्त 30,000 रुपये की सब्सिडी भी उपलब्ध है। सरकार ने हाल ही में दो नए पेमेंट मॉडल—RESCO और ULA—जोड़े हैं, जिनके तहत बिना किसी शुरुआती खर्च के सोलर पैनल लगवाए जा सकते हैं। RESCO मॉडल में थर्ड-पार्टी संगठन पैनल लगाते हैं, जबकि ULA मॉडल में डिस्कॉम या सरकारी संस्थाएं इसे संभालती हैं।
कमाई का अवसर
इस योजना का एक अनूठा पहलू यह है कि सोलर पैनल से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचकर परिवार सालाना 15,000 से 18,000 रुपये तक कमा सकते हैं। 3 किलोवाट का सोलर पैनल प्रतिदिन 15 यूनिट बिजली पैदा करता हैავ
पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ
यह योजना न केवल बिजली बिल में बचत करती है, बल्कि पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाती है। सरकार का अनुमान है कि अगले 25 वर्षों में 1,000 अरब यूनिट बिजली का उत्पादन होगा, जिससे 720 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन कम किए जा सकेंगे। इसके अलावा, सोलर पैनल निर्माण और स्थापना से रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। हाल ही में 26,898 लोगों को सोलर पैनल स्थापना की ट्रेनिंग दी गई है, जिससे कुशल कार्यबल तैयार हो रहा है।
आवेदन प्रक्रिया
योजना का लाभ उठाने के लिए, आवेदक को आधिकारिक पोर्टल pmsuryaghar.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके लिए कंज्यूमर नंबर, नाम, पता, और सोलर पैनल की क्षमता जैसी जानकारी देनी होती है। सोलर पैनल लगने के बाद, डिस्कॉम द्वारा नेट मीटरिंग स्थापित की जाती है, और सब्सिडी सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।
चुनौतियां और समाधान
कुछ राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश, में इस योजना के प्रति उत्साह कम देखा गया है, क्योंकि वहां मुफ्त बिजली की अन्य योजनाएं लागू हैं। हालांकि, MNRE ने सब्सिडी भुगतान की प्रक्रिया को तेज कर दिया है, और अब यह 5-7 दिनों में ट्रांसफर हो रही है। साथ ही, वेंडरों की संख्या 6,913 से बढ़कर 10,313 हो गई है, जिससे कार्यान्वयन में तेजी आई है।
रिलायंस का सहयोग
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2024 में घोषणा की कि वह गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी सोलर पैनल फैक्ट्री शुरू करेगी। यह कदम योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा, क्योंकि यह घरेलू स्तर पर सोलर पैनल और उनके घटकों का उत्पादन बढ़ाएगा।
Disclaimer: यह लेख सूचना और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट pmsuryaghar.gov.in पर जाएं। डेटा और तथ्य सरकारी और विश्वसनीय समाचार स्रोतों से लिए गए हैं।