“मध्य प्रदेश में 2024 में 13.41 करोड़ पर्यटकों ने दौरा किया, जिसमें 1.67 लाख विदेशी शामिल। धार्मिक स्थलों जैसे उज्जैन और खजुराहो के साथ इको-टूरिज्म हब जैसे पचमढ़ी और भेड़ाघाट ने नया रिकॉर्ड बनाया। गंगा-नर्मदा कॉरिडोर और वेलनेस टूरिज्म पहल से 2025 में पर्यटन को नया आयाम मिलेगा।”
मध्य प्रदेश टूरिज्म: धार्मिक और इको-टूरिज्म में नया जोश
मध्य प्रदेश ने 2024 में पर्यटन के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जिसमें कुल 13.41 करोड़ पर्यटकों ने राज्य का दौरा किया। यह आंकड़ा 2023 की तुलना में 20% अधिक है। मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के अनुसार, धार्मिक पर्यटन में उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर सबसे बड़ा आकर्षण रहा, जहां 7.32 करोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। खजुराहो में 4.89 लाख भारतीय और 1.67 लाख विदेशी पर्यटकों ने दौरा किया, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में वैश्विक पहचान रखता है। इसके अलावा, भोजपुर में 35.91 लाख और महेश्वर में 13.53 लाख पर्यटकों की भीड़ ने राज्य के सांस्कृतिक और धार्मिक आकर्षण को उजागर किया।
राज्य सरकार की नीतियों, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गंगा-नर्मदा टूरिज्म कॉरिडोर, जो उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, अयोध्या, वाराणसी और मध्य प्रदेश के उज्जैन, ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर को जोड़ेगा, 2025 में धार्मिक पर्यटन को नया आयाम देगा। यह कॉरिडोर दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करेगा, जिससे वैश्विक श्रद्धालुओं को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
इको-टूरिज्म में भी मध्य प्रदेश ने नई ऊंचाइयां छुईं। पचमढ़ी और भेड़ाघाट जैसे स्थल पर्यटकों के बीच लोकप्रिय रहे, जहां क्रमशः 2.87 लाख और 2.34 लाख पर्यटकों ने दौरा किया। कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनर्वास परियोजना ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया, जिससे वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा मिला। हनुमंतिया, तमिया और गांधी सागर जैसे स्थानों पर वाटर स्पोर्ट्स, ट्रेकिंग और इको-एडवेंचर की सुविधाओं ने रोमांच चाहने वालों को लुभाया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दिया, जिसमें 241 नए होमस्टे शुरू किए गए। ये होमस्टे स्थानीय संस्कृति, भोजन और परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिला। सरकार का लक्ष्य 1,000 होमस्टे स्थापित करना है। इसके अलावा, उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ मेले की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, जिसे वैश्विक वेलनेस और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की योजना है।
मध्य प्रदेश ने फ्रांस के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता भी किया, जिसके तहत सांस्कृतिक और पर्यटन सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। यह समझौता कला उत्सव, संगीत समारोह और फिल्म स्क्रीनिंग जैसे आयोजनों को प्रोत्साहित करेगा। साथ ही, लखनऊ में आयोजित रोडशो और मध्य प्रदेश ट्रैवल मार्ट (11-13 अक्टूबर 2025) के लिए तैयारियां पर्यटन उद्योग में निवेश और सहयोग को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
वेलनेस टूरिज्म में भी मध्य प्रदेश ने अपनी पहचान बनाई। उज्जैन में आयोजित स्पिरिचुअल एंड वेलनेस समिट में पारंपरिक चिकित्सा, योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई। स्थानीय जड़ी-बूटियों और आदिवासी ज्ञान को वेलनेस इकोसिस्टम में शामिल करने की योजना है, जिससे पर्यटन को टिकाऊ और प्रामाणिक बनाया जा सके।
Disclaimer: यह लेख मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड और विभिन्न समाचार स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। आंकड़े और तथ्य नवीनतम उपलब्ध डेटा पर आधारित हैं।