जल जीवन मिशन 2.0 के तहत मध्य प्रदेश में 2025 तक हर ग्रामीण घर में नल से स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य है। यह योजना ग्रामीण महिलाओं के जीवन को आसान बनाएगी, समय की बचत करेगी और जलजनित बीमारियों को कम करेगी। मध्य प्रदेश जल निगम तेजी से काम कर रहा है, विशेषकर बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में।
मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन 2.0: हर घर में नल का सपना होगा साकार
मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन 2.0 के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। 2019 में शुरू हुए जल जीवन मिशन का यह नया चरण 2025 तक हर ग्रामीण परिवार को नल के माध्यम से 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखता है। मध्य प्रदेश, जो पहले ही इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर चुका है, अब और तेजी से काम कर रहा है ताकि यह लक्ष्य समय पर पूरा हो।
हाल ही में, मध्य प्रदेश जल निगम ने बकस्वाहा मल्टी-विलेज स्कीम (MVS) के तहत सागर, दमोह और छतरपुर जिलों के 299 गांवों में 58,181 परिवारों को पगारा बांध से नल कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजना शुरू की है। इस परियोजना की लागत ₹335.98 करोड़ है, और यह ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या को हल करने में एक बड़ा कदम है।
जल जीवन मिशन के पहले चरण में मध्य प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की थी। 2019 में, केवल 16.6% ग्रामीण परिवारों के पास नल से जल की सुविधा थी, जो 2024 तक बढ़कर 62% हो गई। अब तक देश भर में 15.29 करोड़ ग्रामीण घरों को नल कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं, और मध्य प्रदेश इस दिशा में अग्रणी राज्यों में से एक है।
महिलाओं के लिए वरदान
इस योजना का सबसे बड़ा लाभ ग्रामीण महिलाओं को मिल रहा है। पहले, महिलाओं को पानी लाने के लिए मीलों दूर जाना पड़ता था, जिससे उनका समय और शारीरिक ऊर्जा दोनों बर्बाद होते थे। अब नल से स्वच्छ पानी घर तक पहुंचने से महिलाएं अपने समय का उपयोग बच्चों की शिक्षा, घरेलू कार्यों और स्वरोजगार में कर पा रही हैं। उदाहरण के लिए, बुंदेलखंड में 4,455 से अधिक महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट (FTK) के माध्यम से पानी की गुणवत्ता जांचने का प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे वे जलजनित बीमारियों को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
जलजनित बीमारियों में कमी
जल जीवन मिशन 2.0 का एक प्रमुख उद्देश्य जलजनित बीमारियों जैसे डायरिया, टाइफाइड, और हैजा को कम करना है। स्वच्छ पानी की उपलब्धता से दांतों की उम्र बढ़ेगी, त्वचा रोगों से छुटकारा मिलेगा, और किडनी, लीवर, और पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी कम होगा। मध्य प्रदेश में 91.98% स्कूलों और 90.54% आंगनबाड़ी केंद्रों को नल से जल की सुविधा से जोड़ा जा चुका है, जिससे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष लाभ हो रहा है।
बुंदेलखंड में नई पहल
बुंदेलखंड, जो लंबे समय से जल संकट से जूझ रहा था, अब जल जीवन मिशन के तहत बदल रहा है। जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने हाल ही में इस क्षेत्र के कई गांवों का औचक निरीक्षण किया, ताकि यह सुनिश्चित हो कि योजना का लाभ हर परिवार तक पहुंचे। इस क्षेत्र में पाइपलाइन बिछाने और नल कनेक्शन स्थापित करने का काम तेजी से चल रहा है।
चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं
हालांकि मध्य प्रदेश ने इस दिशा में सराहनीय प्रगति की है, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी बाकी हैं। सूखाग्रस्त क्षेत्रों और भौगोलिक रूप से कठिन इलाकों में पाइपलाइन बिछाना आसान नहीं है। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध और कोविड महामारी के कारण कच्चे माल की आपूर्ति में आई रुकावटों ने भी प्रगति को प्रभावित किया है। फिर भी, केंद्र सरकार ने इस मिशन की अवधि को दिसंबर 2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है ताकि शेष लक्ष्य पूरे किए जा सकें।
मध्य प्रदेश जल निगम और स्थानीय प्रशासन मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर गांव में नल कनेक्शन की सुविधा पहुंचे। इसके लिए सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है, और ग्राम पंचायत स्तर पर पानी समितियां गठित की गई हैं। यह योजना न केवल पानी की उपलब्धता बढ़ाएगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी।
Disclaimer: यह लेख जल जीवन मिशन 2.0 और मध्य प्रदेश में हर घर नल योजना से संबंधित नवीनतम समाचार और रिपोर्ट्स पर आधारित है। जानकारी विश्वसनीय स्रोतों जैसे जल जीवन मिशन की आधिकारिक वेबसाइट, समाचार पत्र, और सोशल मीडिया पोस्ट से ली गई है। यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसमें दी गई जानकारी समय के साथ बदल सकती है।