MP ग्रीन एनर्जी मिशन: 2030 तक 100% रिन्यूएबल एनर्जी का लक्ष्य!

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“मध्य प्रदेश सरकार ने 2030 तक 50% बिजली रिन्यूएबल एनर्जी से प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। नई नीति में सोलर, विंड और ग्रीन हाइड्रोजन पर जोर, ग्रीन जोन और हेरिटेज सिटी को 100% ग्रीन बनाने की योजना शामिल है। ओमकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट और 20,000 MW अतिरिक्त ग्रीन पावर के साथ MP बनेगा रिन्यूएबल एनर्जी हब।”

मध्य प्रदेश का ग्रीन एनर्जी क्रांति: 2030 तक हरित भविष्य

मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी नई रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी 2025 के तहत 2030 तक राज्य की 50% बिजली जरूरतों को रिन्यूएबल एनर्जी से पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस नीति में सोलर, विंड, ग्रीन हाइड्रोजन और बायोफ्यूल पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को भी गति मिलेगी।

राज्य सरकार ने ग्रीन जोन स्थापित करने की योजना बनाई है, जहां बड़े कॉरपोरेशन को 30% बिजली रिन्यूएबल स्रोतों से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इन जोन में न्यूनतम 500 मिलियन रुपये टर्नओवर वाले कॉरपोरेशन, जो RE-100 या नेट-जीरो जैसे वैश्विक लक्ष्यों से जुड़े हैं, भाग ले सकेंगे। सरकार छह महीने में ग्रीन जोन अधिसूचित करेगी, और MP Urja Vikas Nigam (MPUVNL) या RUMSL कॉरपोरेट्स के लिए डेवलपर चुनने में सहायता करेगा।

इसके अलावा, मध्य प्रदेश 2027 तक 10 GW रिन्यूएबल एनर्जी/हाइब्रिड पार्क और 10 GW बिजली निर्यात के लिए प्रोजेक्ट विकसित करेगा। सanchi और खजुराहो जैसे हेरिटेज शहरों को 2027 तक 50% और 2030 तक 100% ग्रीन सिटी बनाने की योजना है। इन शहरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम और सोलर-संचालित स्ट्रीट लाइट्स को अनिवार्य किया जाएगा।

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मध्य प्रदेश ने ओमकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट के साथ एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जो भारत का सबसे बड़ा और दुनिया के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स में से एक है। इस प्रोजेक्ट की पहली फेज में 278 MW बिजली उत्पादन होगा, जिसे सितंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है। पूरे प्रोजेक्ट से 600 MW बिजली उत्पन्न होगी, जो राज्य की डिस्कॉम्स को आपूर्ति की जाएगी।

चंबल क्षेत्र, जो कभी डकैतों के लिए कुख्यात था, अब सोलर पावर का केंद्र बनने जा रहा है। सरकार ने चंबल की विशाल रेतीली भूमि पर सोलर प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे क्षेत्र का विकास होगा और बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। यह प्रोजेक्ट न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी गेम-चेंजर साबित होगा।

नीति में ग्रीन हाइड्रोजन को भी प्राथमिकता दी गई है। यह रिन्यूएबल एनर्जी से उत्पादित होने वाला एक स्वच्छ ईंधन है, जो उद्योगों और परिवहन क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन का विकल्प बन सकता है। मध्य प्रदेश सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देते हुए सरकारी भूमि को रियायती दरों पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।

राज्य सरकार ने 2024 तक 20%, 2027 तक 30%, और 2030 तक 50% बिजली रिन्यूएबल स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जिला-स्तरीय कार्यान्वयन समितियां गठित की जाएंगी, जो नीति के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगी। साथ ही, 6 kW से अधिक कनेक्टेड लोड वाले घरों और संस्थानों में रूफटॉप सोलर सिस्टम अनिवार्य होगा।

मध्य प्रदेश की यह नीति न केवल राज्य को रिन्यूएबल एनर्जी हब के रूप में स्थापित करेगी, बल्कि भारत के 2030 तक 500 GW नॉन-फॉसिल एनर्जी लक्ष्य में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। केंद्र सरकार की नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और सोलर मिशन के साथ तालमेल बनाकर MP रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है।

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Disclaimer: यह लेख समाचार, सरकारी नीतियों, और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। जानकारी को नवीनतम डेटा के साथ अपडेट किया गया है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक सरकारी पोर्टल्स पर नवीनतम अपडेट्स की जांच करें।

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