मध्य प्रदेश में मनरेगा 2025: हर हाथ को काम, हर घर को सम्मान की नई उड़ान

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“मध्य प्रदेश में मनरेगा 2025 के तहत ग्रामीण परिवारों को 100 दिन का रोजगार गारंटी, न्यूनतम मजदूरी और बेरोजगारी भत्ता सुनिश्चित। ग्राम पंचायतों में जॉब कार्ड के जरिए आसान आवेदन, डिजिटल भुगतान और टिकाऊ संपत्ति निर्माण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया बल। जानें योजना की ताजा उपलब्धियां और चुनौतियां।”

मध्य प्रदेश में मनरेगा: ग्रामीण रोजगार का नया अध्याय

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) मध्य प्रदेश में ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका का मजबूत आधार बन चुका है। 2005 में शुरू हुई इस योजना का लक्ष्य हर वित्तीय वर्ष में ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को कम से कम 100 दिन का अकुशल मजदूरी रोजगार प्रदान करना है। 2024-25 के लिए केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 86,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जिसमें मध्य प्रदेश को भी महत्वपूर्ण हिस्सा मिला है।

मध्य प्रदेश में मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, नहर, तालाब और कुओं जैसे टिकाऊ संपत्तियों का निर्माण तेजी से हो रहा है। योजना के तहत आवेदक को उनके निवास के 5 किलोमीटर के दायरे में काम दिया जाता है, और न्यूनतम मजदूरी 220 रुपये प्रतिदिन सुनिश्चित की गई है। यदि 15 दिनों के भीतर काम नहीं मिलता, तो बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है, जो इसे एक कानूनी अधिकार बनाता है।

जॉब कार्ड और डिजिटल भुगतान की सुविधा

मनरेगा में भाग लेने के लिए ग्रामीण परिवारों को ग्राम पंचायत में जॉब कार्ड के लिए आवेदन करना होता है। इसके लिए आधार कार्ड और बैंक खाता विवरण अनिवार्य हैं। जॉब कार्ड धारकों को डिजिटल भुगतान प्रणाली के माध्यम से मजदूरी सीधे उनके बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है, जिसके लिए खाता आधार से लिंक और National Payments Corporation of India (NPCI) मैपर से जुड़ा होना चाहिए।

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मध्य प्रदेश में ग्राम पंचायतों के माध्यम से जॉब कार्ड की स्थिति और भुगतान की जानकारी ऑनलाइन चेक की जा सकती है। आधिकारिक वेबसाइट nrega.nic.in पर जाकर श्रमिक अपने ब्लॉक और ग्राम पंचायत का चयन कर ‘Consolidated Report of Payment to Worker’ विकल्प के जरिए भुगतान विवरण देख सकते हैं। यह पारदर्शिता योजना की विश्वसनीयता को और मजबूत करती है।

2024-25 में उपलब्धियां और आंकड़े

ग्रामीण विकास मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2024-25 तक मनरेगा के तहत देशभर में 2923 करोड़ मानवदिवस सृजित किए गए, जिनमें मध्य प्रदेश का योगदान उल्लेखनीय रहा। मध्य प्रदेश में इस साल लाखों ग्रामीण परिवारों को रोजगार प्रदान किया गया, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिला। सड़कों, जल संरक्षण और वनीकरण जैसे कार्यों ने ग्रामीण बुनियादी ढांचे को भी मजबूत किया।

महिलाओं और हाशिए पर पड़े वर्गों का सशक्तिकरण

मनरेगा में महिलाओं को कम से कम 50% रोजगार सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है। मध्य प्रदेश में यह लक्ष्य काफी हद तक पूरा हो रहा है, जिससे ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ी है। इसके अलावा, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे सामाजिक समावेशन को बढ़ावा मिलता है।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि मनरेगा ने मध्य प्रदेश में लाखों परिवारों को लाभ पहुंचाया, लेकिन समय पर भुगतान में देरी और जॉब कार्ड से संबंधित तकनीकी समस्याएं कुछ क्षेत्रों में बाधा बनी हुई हैं। इसके लिए श्रमिक स्थानीय नरेगा अधिकारियों, खंड विकास अधिकारी या जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकते हैं। नरेगा हेल्पलाइन नंबर भी इस तरह की समस्याओं के समाधान के लिए उपलब्ध है।

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भविष्य की दिशा

2025 में मध्य प्रदेश सरकार मनरेगा को और प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल उपकरणों और ई-गवर्नेंस पर जोर दे रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हाल ही में व्यक्तिगत वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए दस बैंकों के साथ समझौता किया है, जिससे जॉब कार्ड धारकों को और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

Disclaimer: यह लेख महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) से संबंधित नवीनतम जानकारी और सरकारी आंकड़ों पर आधारित है। यह किसी भी प्रकार की वित्तीय सलाह या गारंटी नहीं है। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट nrega.nic.in या स्थानीय ग्राम पंचायत से संपर्क करें।

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