मध्य प्रदेश का स्वच्छ MP मिशन 2025 हर गांव में साफ पेयजल सुनिश्चित कर रहा है। जल जीवन मिशन के तहत 299 गांवों में 58,181 परिवारों को शुद्ध पानी मिलेगा। स्थानीय महिलाएं पानी की गुणवत्ता जांचेंगी। यह पहल स्वस्थ जीवन और ग्रामीण सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है।
मध्य प्रदेश में स्वच्छता और स्वास्थ्य की नई पहल
मध्य प्रदेश सरकार ने स्वच्छ MP मिशन के तहत जल जीवन मिशन को गति दी है, जिसका लक्ष्य 2025 तक हर गांव में शुद्ध पेयजल पहुंचाना है। हाल ही में, मध्य प्रदेश जल निगम ने सागर, दमोह और छतरपुर जिलों के 299 गांवों में 58,181 परिवारों को पगारा बांध से नल कनेक्शन के जरिए साफ पानी उपलब्ध कराने की योजना शुरू की है। इस परियोजना की लागत ₹335.98 करोड़ है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस मिशन के तहत, हल्द्वानी और कोटाबाग जैसे क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता की जांच का जिम्मा स्थानीय महिलाओं को सौंपा गया है। हर गांव में पांच महिलाओं की समिति बनाई जाएगी, जिन्हें जलसंस्थान द्वारा जांच किट और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। साल में तीन बार पानी की सैंपलिंग होगी, जिसमें दो बार पैथोलॉजिकल और एक बार केमिकल टेस्ट शामिल होंगे। यह कदम न केवल स्वच्छ पानी सुनिश्चित करेगा, बल्कि महिलाओं में आत्मविश्वास और स्वास्थ्य जागरूकता को भी बढ़ाएगा।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत भी मध्य प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। 2025 में स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण शुरू हो चुका है, जो 23 जून से 14 अगस्त तक गांवों की स्वच्छता का मूल्यांकन करेगा। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य गांवों को खुले में शौच मुक्त (ODF) और स्वच्छ बनाना है। मिशन ने ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन को भी बढ़ावा दिया है, जिससे पर्यावरणीय स्थिरता और स्वस्थ जीवन को बल मिला है।
जल जीवन मिशन के तहत मध्य प्रदेश में कई गांवों में 100% नल कनेक्शन का लक्ष्य पूरा हो चुका है, जबकि कुछ क्षेत्रों में पानी के स्रोतों की कमी के कारण चुनौतियां बनी हुई हैं। इन क्षेत्रों में नलकूप और अन्य स्रोतों से पानी पहुंचाने के लिए डीपीआर तैयार की गई है। उदाहरण के लिए, हल्द्वानी के 32 गांवों में शत-प्रतिशत कनेक्शन हो चुके हैं, जबकि कोटाबाग के 24 गांवों में वैकल्पिक जल स्रोतों की व्यवस्था की जा रही है।
इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में मंत्रालयों के बीच बेहतर तालमेल देखा जा रहा है। कचरे से बिजली उत्पादन और सड़क निर्माण में अपशिष्ट प्लास्टिक के उपयोग जैसे नवाचारों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण और स्वच्छता के लिए सामुदायिक भागीदारी को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। ग्राम पंचायतों और पानी समितियों को अधिक अधिकार दिए गए हैं, ताकि वे स्थानीय स्तर पर जल व्यवस्था और स्वच्छता को बेहतर बना सकें।
महिलाओं की भूमिका इस मिशन में अहम है। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) अपशिष्ट प्रबंधन और जल संरक्षण में योगदान दे रहे हैं। इन प्रयासों से न केवल स्वच्छता में सुधार हो रहा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।
Disclaimer: यह लेख मध्य प्रदेश के स्वच्छ MP मिशन और जल जीवन मिशन पर आधारित है, जिसमें विभिन्न समाचार स्रोतों और सोशल मीडिया पोस्ट से प्राप्त जानकारी का उपयोग किया गया है। लेख में दी गई जानकारी तथ्यात्मक और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक सरकारी वेबसाइट्स से नवीनतम अपडेट्स की जांच करें।