“उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा मिशन को 2025-26 के लिए नए फंड्स मिले हैं। यूपी बजट में कृषि और संबंधित सेवाओं के लिए 11% आवंटन के साथ, मिशन का लक्ष्य चावल, गेहूं और दालों की उत्पादकता बढ़ाना है। यह पहल किसानों को सशक्त बनाएगी और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेगी। जानें कैसे यूपी खेती में क्रांति ला रहा है!”
यूपी में खाद्य सुरक्षा मिशन को नई ताकत: 2025 के लिए फंड्स
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025-26 के लिए अपने बजट में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने 20 फरवरी 2025 को 8,08,736 करोड़ रुपये का बजट पेश किया, जिसमें कृषि और संबंधित सेवाओं के लिए 11% का आवंटन शामिल है। इस बजट का एक बड़ा हिस्सा खाद्य सुरक्षा मिशन को समर्पित है, जिसका उद्देश्य चावल, गेहूं, दालों और मोटे अनाजों की उत्पादकता में वृद्धि करना है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, जो 2007 में शुरू हुआ था, ने पिछले वर्षों में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इस मिशन ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 25 मिलियन टन अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया था। अब 2025 में, यूपी सरकार इस मिशन को और मजबूत करने के लिए नए फंड्स और रणनीतियों पर ध्यान दे रही है। विशेष रूप से कम उत्पादकता वाले लेकिन उच्च संभावना वाले जिलों पर फोकस किया जा रहा है।
किसानों के लिए नई सुविधाएं
यूपी में NFSM के तहत क्लस्टर डेमोंस्ट्रेशन, प्रमाणित बीजों का वितरण, सूक्ष्म पोषक तत्व, मिट्टी और पौधों की सुरक्षा सामग्री, और आधुनिक कृषि उपकरणों पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा, बारिश पर निर्भर क्षेत्रों में खाद्यान्न फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं लागू की जा रही हैं। चावल के परती क्षेत्रों, चावल की मेड़ों और मोटे अनाजों, तिलहन और व्यावसायिक फसलों के साथ दालों की अंतर-फसल को प्राथमिकता दी जा रही है।
बजट का प्रभाव
2025-26 के बजट में यूपी ने विकास के लिए 22% और कृषि के लिए 11% आवंटन किया है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को दोगुना करने के लक्ष्य को दर्शाता है। वित्त मंत्री ने बताया कि राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) 2024-25 में 7.51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि प्रति व्यक्ति आय 2016-17 में 52,671 रुपये से बढ़कर 2023-24 में 93,514 रुपये हो गई है। यह मजबूत वित्तीय प्रबंधन NFSM के लिए फंड्स की उपलब्धता को और सुनिश्चित करता है।
केंद्र और राज्य का सहयोग
NFSM एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है, जिसमें केंद्र सरकार सामान्य राज्यों के लिए 60% और उत्तर-पूर्वी/हिमालयी राज्यों के लिए 90% फंडिंग प्रदान करती है। यूपी में, राज्य सरकार इन फंड्स को जिला-स्तरीय एजेंसियों तक पहुंचाने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली का पालन करती है। अप्रैल-जून में पहली किस्त और अक्टूबर-दिसंबर में दूसरी किस्त जारी की जाती है, जिससे किसानों को समय पर संसाधन मिल सकें।
किसानों को सशक्त बनाना
मिशन के तहत छोटे और सीमांत किसानों के लिए 33% और महिला किसानों के लिए 30% फंड्स आरक्षित हैं। प्रत्येक किसान को एक सीजन में अधिकतम 5 हेक्टेयर के लिए सहायता प्रदान की जाती है। जिला-स्तरीय बीज समितियां बीज वितरण की निगरानी करती हैं, जबकि क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र और NGOs योजना और कार्यान्वयन में सहयोग करते हैं।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि NFSM ने खाद्य उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा और मिट्टी की उर्वरता में कमी जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं। यूपी सरकार इन समस्याओं से निपटने के लिए आधुनिक तकनीकों और बेहतर बुनियादी ढांचे पर निवेश कर रही है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छ पानी और स्वच्छता तक पहुंच बढ़ाने के प्रयास भी खाद्य और पोषण सुरक्षा को मजबूत करने में मदद कर रहे हैं।
खाद्य प्रसंस्करण में प्रगति
यूपी ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम उन्नयन योजना (PMFME) में भी शीर्ष स्थान हासिल किया है। 2025-26 के लिए इस योजना के तहत 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है, जो खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को और बढ़ावा देगा। यह NFSM के लक्ष्यों को पूरक बनाता है, क्योंकि यह फसल के बाद होने वाले नुकसान को कम करता है और किसानों की आय बढ़ाता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और उत्तर प्रदेश के 2025-26 बजट से संबंधित नवीनतम उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। डेटा Times of India, PIB, और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से लिया गया है। अतिरिक्त जानकारी के लिए संबंधित सरकारी पोर्टल्स देखें।